इस दुनिया में
क्या हम सब
डर-डर कर
कर पायेंगे प्यार
क्या हम सब
खुल कर हंस पायेंगी
बच्चों जैसी निश्चल हंसी
हंसी क्यों छिन जाती है हमसे
ऐसी दुनिया
हम नही चाहतीं।
इस दुनिया में
क्या हम सब
डर-डर कर
कर पायेंगे प्यार
क्या हम सब
खुल कर हंस पायेंगी
बच्चों जैसी निश्चल हंसी
हंसी क्यों छिन जाती है हमसे
ऐसी दुनिया
हम नही चाहतीं।