कड़वे घूँट पियें फिर कैसे
मीठे गीत लिखें
तुम्हीं बता दो
कैसे हम मन के विपरीत लिखें।
खादी से दिन जीकर
कैसे लिखें रेशमी रातें,
लोहे के निब से न लिखीं जातीं
सोने-सी बातें;
शंकित वर्तमान है
कैसे इसे अभीत लिखें?
जिस धारावाहिक जीवन की
साँस-साँस सैंसर हो,
इच्छाओं के प्रोड्यूसर पर
हावी डायरेक्टर हो;
जो अभिनेय न हो उसको
कैसे अभिनीत लिखें।
आज शिल्प मालिक बन बैठा
ऊँचे सर्जन-महल में,
और कथ्य बैरागिरी करता
उसके होटल में;
ऐसे में रचना कैसे हम
आशातीत लिखें