हम लोग पिया करते हैं, मजबूरियों के जाम
दौलत दरिन्दों के का, लेते नहीं सलाम
तुमने पढ़ी हैं सुबह, बनारस की पोथियाँ
हमने भी खत लिखे हैं, शामे-अवध के नाम
हम लोग पिया करते हैं, मजबूरियों के जाम
दौलत दरिन्दों के का, लेते नहीं सलाम
तुमने पढ़ी हैं सुबह, बनारस की पोथियाँ
हमने भी खत लिखे हैं, शामे-अवध के नाम