Last modified on 23 जनवरी 2017, at 12:35

हम सूरज हैं / प्रमोद तिवारी

हम सूरज हैं
हम ढले नहीं
हम सूरज हैं ...

हम जिस क्षण से
अपने पैरों पर खड़े हुए
उस क्षण से अब तक
उसी ठौर पर बड़े हुए
हम पग भर भी तो टले नहीं

तुम मेरी आँखों से कब
ओझल होते हो
ये तुम ही हो
जो आँख बंद कर
सोते हो
हम आँखों-आँखों
पले नहीं

तुम कहते हो
हम केवल दहते रहतेहैं
हम दहते हैं तो
नदिया झरने बहते हैं
हिमखण्ड गले
हम गले नहीं

हम रोज तुम्हें
सिंदूरी पूरब देते हैं
बदले में तुमसे
पश्चिम का
विष लेते हैं
फिर भी तुम
फूले-फले नहीं