हरजी उगन तै परभात,
मात जसोधा दांदण मांगिया
हरजी मांग रही बरचार,
बहुए हठीली दांदण ना देई हरे राम!
बेटा तेरी बहू ओछे घर की धीय
दांदण मांगी हमने ना दई हरे राम!
मां मेरी ल्यावां गंगा जल नी,
दांदण त्यावां हरियल केलकी हरे राम।
बेटा ओह दांदण रुकमण नै देओ,
म्हारा तो औसर चूकिया हरे राम।
माता कहो तो मन तै बिडारां
कहो तो घाले इस कै बाप कै हरे राम।
बेटा क्यांहने तो मन तै बिडारै
क्यांहने घाले इसके बाप के हरे राम।
बेटा याह् धण जन्मेगी पूत,
बेल बधैगी थारे बाप की हरे राम।
बेटा याह धण जन्मेगी धीय,
लाड़ जमाई आवें पाहुणे हरे राम।
रुकमण उठो न करो न सिंगार,
बिरद उमासी थारे बाप कै।
हर जी झूठे तुम किसन मुरार
सावण मासै कैसी बिरदली हरे राम।
रुकमण उठो न करो न सिंगार,
बेटा तो जाया माई जाये बीर कै हरे राम।
हरजी अब कै तो बोले हो साच,
आसा तो कहिए म्हारी भावजीं हरे राम।
रुकमण कातै थी लम्बे लम्बे तार,
हरजी नै देखे हंस पड़ी हरे राम।
रुकमण चरखे नै देयो उठाय,
तुम चालो म्हारे साथ मैं हरे राम।
हरजी आप तो घोड़ै असवार,
रुकमण नै बहल जुड़ाई हरे राम।
हरजी चले सैं मांझल रात,
दिन उगायो सुघड़ सासरे हरे राम।
हर जी आये सैं रुकमण घाल
आंगण बैठ्ये ऊमण घूमणे हरे राम।
बेट्टा बहुआं बिन घोर अन्धेर,
पोतां बिन आंगन भिनभिना हरे राम।
हरजी चले सैं रथ जुड़वाए,
सूरज उगायो सुघड़ सासरै हरे राम।
रुकमण उठो न करोए सिंगार,
तड़कै तो चालां अपण देस हरे राम।
माता महलां ते नीच्चै उतर आ,
पांय तो पड़ै तेरी कुल वधू हरे राम।
बेटा तुम जीओ बरस करोड़
पांय पड़ेगी अपणी मांय कै हरे राम।
माता ऐसे तो बोल न बोल,
मायां कै धीयां कैसे पग पड़ै हरे राम।
माता तुम मेरे सिर की ताज,
रुकमण तो कहिए पग की मोचड़ी हरे राम।