हरदम राम नहीं पहचानो।
बिना विवेक एक नहिं दरसे गावें पढ़े परख नहिं जानो।
झगड़ा करत अबुझ नहिं सुरझत हिन्दू तुरक दोई फिरत भुलानो।
विकल विहाल फिरत वन डोलत मृग तिसना के वारि समानो।
बिनु गुरु संध अंध भयो डोलत बोलत कर्म कीच गत सानो।
जूड़ीराम नाम बिन चीन्हें भरम अंध नहिं लगत ठिकानो।