हरपल शिकवा और शिकायत
मानो जैसे एक रिवायत
अपनी गरज मिटाने खातिर
करते उसकी ख़ूब हिमायत
खाना पीना औ जीना, बस
दी किसने ये ख़ास हिदायत
मां ने कितनी बार कहा है
दुख में आती काम किफायत
अपनों की कब मानी तुमने
अपने घर-सा नहीं विलायत
हरपल शिकवा और शिकायत
मानो जैसे एक रिवायत
अपनी गरज मिटाने खातिर
करते उसकी ख़ूब हिमायत
खाना पीना औ जीना, बस
दी किसने ये ख़ास हिदायत
मां ने कितनी बार कहा है
दुख में आती काम किफायत
अपनों की कब मानी तुमने
अपने घर-सा नहीं विलायत