हरी थी जो देवदार की पत्तियाँ
हो गयीं भूरी
झर कर सो रही हैं चुप।
सोते में बह रहा पानी
चुप को घुलाता है
शब्द देता है-हरियल शब्द
सूखी पत्तियों को।
(1983)
हरी थी जो देवदार की पत्तियाँ
हो गयीं भूरी
झर कर सो रही हैं चुप।
सोते में बह रहा पानी
चुप को घुलाता है
शब्द देता है-हरियल शब्द
सूखी पत्तियों को।
(1983)