हां रूंख भी हुवै
हरियो
अेकर उणनै
ठंडी निजरां सूं देखो तो सरी
उण रो भूरो रंग
दीसैला हरियो
हरियाळी कैवै किणनै है
मन री हूंस
जीवण री लाळसा
लड़ण री समरथ
खुद बगै अरथ
ओ काम तो
रेगिस्तान मांय
रूंख भी करै
इणी खातर
रूंख भी हुवै हरियो
फगत निजरां रो है फरक