♦ रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
- अंगिका लोकगीत
- अवधी लोकगीत
- कन्नौजी लोकगीत
- कश्मीरी लोकगीत
- कोरकू लोकगीत
- कुमाँऊनी लोकगीत
- खड़ी बोली लोकगीत
- गढ़वाली लोकगीत
- गुजराती लोकगीत
- गोंड लोकगीत
- छत्तीसगढ़ी लोकगीत
- निमाड़ी लोकगीत
- पंजाबी लोकगीत
- पँवारी लोकगीत
- बघेली लोकगीत
- बाँगरू लोकगीत
- बांग्ला लोकगीत
- बुन्देली लोकगीत
- बैगा लोकगीत
- ब्रजभाषा लोकगीत
- भदावरी लोकगीत
- भील लोकगीत
- भोजपुरी लोकगीत
- मगही लोकगीत
- मराठी लोकगीत
- माड़िया लोकगीत
- मालवी लोकगीत
- मैथिली लोकगीत
- राजस्थानी लोकगीत
- संथाली लोकगीत
- संस्कृत लोकगीत
- हरियाणवी लोकगीत
- हिन्दी लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
हरि मारही मिरगा बान जंगल बिच सोर भए
अरे हाँ हाँ जंगल बिच सोर भए
अरे हाँ हाँ जंगल बिच सोर भए
हरि मारही मिरगा बान जंगल बिच सोर भए
भारत बान गिरे धरती पर लछमन रहे दुहराई
हे हो लछमन रहे दुहराई
इतनी बात सुनी जब सीता मन में गई घबराई
जंगल बिच सोर भए
हरि मारही मिरगा बान जंगल बिच सोर भए
प्यारे हो तुम लछमन देवर विपत पड़ो है भारी
हे हो विपत पड़ो है भारी
भाई तुम्हारे हैं संकट में त्रिभुवन के रखवारी
जंगल बिच सोर भए
हरि मारही मिरगा बान जंगल बिच सोर भए
इतना सुनकर लछमन बोले सुनहुँ जनक सुकुमारी
को है उनको मारन वाले त्रिभुवन के रखवारी
जंगल बिच सोर भए
हरि मारही मिरगा बान जंगल बिच सोर भए
कटु बचन सीता जब बोली लछमन रेख धराई
ले धनु बान हाथ में लेकर सीता को समझाई
जंगल बिच सोर भए
हरि मारही मिरगा बान जंगल बिच सोर भए