मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
हरी काँच नौरंगी चूड़ी
फूल भरन के साड़ी री
बिना दान गृही जाहू ने पबिहैं
सुनु वृषभान दुलारी री
ओ दिन मोहन यादो नहीं छऽ
भूखे करह मुनहार री
दिन चारि के सड़ले दहिया
हमहीं घोरि पिऔल री
ओ दिन राधा यादो नहीं छऽ
कुंजवना मसखेल री
अंचरा पेन्हऽ रने-बने फीरऽ
कुंजवन रहऽ अकेल री
ओ दिन मोहन यादो नहीं छऽ
ओढ़न कारी कम्मल री
घरे-घरे मक्खन दही चोरौलऽ
आजु पिताम्बर धारण री
ओ दिन हम-तूँ राधा संगे खेलेलौं
माथे भरलौं पानि री
अंचरा पेन्ह, रने-बने फीरल
आजु गोकुल के रानी री
लाजो ने छऽ मोहन बातो ने नीके
लोक करत उपहास री
जाय कहब हम कंस राय के
बान्हि देथुन छबे मास री
कंश राय के डरो ने डरिय
सूनू गे कंसक सारि री
जाय कहब हम ग्वाल-बाल के
दही-दूध पीता ढ़ारि री