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हर घड़ी लक्ष्य पे / हरिवंश प्रभात

हर घड़ी लक्ष्य पे, नज़रों को टिकाए रखना।
अपने सूरज को भी बादल से बचाए रखना।

लोग राहों में बहुत काँटें बिछायेंगे मगर,
तुम जिधर जाओ, उधर फूल उगाए रखना।

सब सवालों का ज़रूरी भी नहीं देना जवाब,
बस सवालों में नहीं ख़ुद को जुझाए रखना।

आसमां से है तुम्हें तोड़ के तारे लाना,
हौसला अपने इरादों का बढ़ाए रखना।

ठहरे तालाब के पानी से तुम्हें क्या लेना,
बहते झरनों की तरह ख़ुद को बनाए रखना।

तुमको तो दूर बहुत दूर अभी जाना है,
अपनी मंज़िल पर निगाहों को जमाए रखना।

दाना डाले हुए बैठा, है शिकारी ‘प्रभात’,
इनके जालों से परिंदों को बचाए रखना।