हर मरहला हयात का पहला कदम लगा
मंज़िल से आश्ना न मिरा रास्ता हुआ
जैसे कि ज़ीस्त में कोई अगला क़दम न था
हर मरहला हयात का पहला कदम लगा
खुश आ सका न तजरिबा कोई हयात का
धरती पे आसमान बराबर झुका रहा
हर मरहला हयात का पहला कदम लगा
मंज़िल से आश्ना न मिरा रास्ता हुआ।