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हर मोड़ पर / संगीता गुप्ता

हर मोड़ पर
राह तकती हूँ उसकी
जिसके पल दो पल का साथ
सफर को बना देता है आसान
बना देता है खूबसूरत

जब मिल जाता है वह
उबर जाती हूँ
पराजय बोध से

तय है
सपनों का टूटना
बिखरना
फिर भी
चाहती हूँ मैं न टूटे
नये सपनों का सिलसिला

जिन्दगी - दर - जिन्दगी
जीते रहने का भरोसा
देते हैं
जूझने का बल देते हैं, सपने