घुरी-घुरी आबै हलुमान
करै छै ददी केॅ हरसान
बड़ी परिश्रम करलेॅ छै
बरी पारी केॅ धरलेॅ छै
बाबा छै जोगवारी में
आमी के फुलवारी में
साफड़ी केरोॅ बगिच्चा छै
फोल अभी तेॅ कच्चा छै
लीची, आम, लतामों के
बाग इटहरी गामों के
ऐलोॅ छै ढेरे हलुमान
आम तोड़ि केॅ करै जियान
कना बेलैतै हाय गे माय
गेलैसब बुद्धि से हेराय
झुंडो में छै एक खटास
करतै सबठो सत्यानास