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हल की धार को याद कर लेती हूँ / अनुराधा ओस

बहुत पहले माँ ने
कहा था कि
कुछ बनाते समय
उसको याद कर लेना चाहिए
जो उस काम को
अच्छे से करता हो तो मैं

रसोई बनाते समय
माँ को याद कर लेती हूँ

जिंदगी की कड़वाहट
कम करने के लिए पानी को
 
मन को समतल बनाने के लिए
हल की नुकीली धार को

दुःख को हराने के लिए
समुद्र को

काँटे हटाने के लिए
हंसिया और दराती को

उधड़ी सीवन ठीक करने के लिए
पेड़ की छाल को

कतरन-कतरन जोड़ कर
तुरपाई करने के लिए
मकड़ी की जिजीविषा को

मन की बर्फ पिघलने के लिए
कुम्हार के आंवा को॥