Last modified on 16 अप्रैल 2018, at 19:09

हवन कुण्ड / सुनीता जैन

तुम किसको
नकार रहे? क्या मुझको?
मेरा यदि कहीं है कुछ,
तो मुझको दिखलाओ

तुम नकार रहे हो, भाई,
गी को, इडा को
इराको, इला को

क्योंकि
वे कविता में आतीं,
किन्तु आती हैं
जिस पल, उससे पहले
विगलित हो जाता
मेरा ‘मैं’ सारा
रह जाता
हवन कुण्ड का
अग्नि जलता