हवा चली तो फर-फर, फर-फर
उड़े हमारे बाल,
हवा चली तो चुनमुन के भी
चमक उठे हैं गाल।
हवा चली तो पत्ते सारे
बजा रहे हैं ताली,
हवा चली तो झुक आई यह
हरसिंगार की डाली।
हवा चली तो फर-फर, फर-फर
उड़े हमारे बाल,
हवा चली तो चुनमुन के भी
चमक उठे हैं गाल।
हवा चली तो पत्ते सारे
बजा रहे हैं ताली,
हवा चली तो झुक आई यह
हरसिंगार की डाली।