नफ़रत
अपनी आंखों में
आग लिए आई
ठीक वहीं पर
प्रेम खड़ा था
आँखों में पानी लिए
सवाल
अब सिर्फ़
हवा के रूख का था ।
नफ़रत
अपनी आंखों में
आग लिए आई
ठीक वहीं पर
प्रेम खड़ा था
आँखों में पानी लिए
सवाल
अब सिर्फ़
हवा के रूख का था ।