हवा हैं हम
कभी शीतल
कभी गर्म
कभी धूल
कभी बवण्डर
नहीं दिखती हुई भी
हर जगह हैं हम
हमारे बिना
तुम्हारा कोई वजूद नहीं
अक्कड़ बक्कड़
धूम-धड़ाक का खेल छोड़ो
हम नहीं होंगे
तो ख़ुद को
किसी आईसीयू में
कब तक बचा पाओगे
हवा हैं हम
कभी शीतल
कभी गर्म
कभी धूल
कभी बवण्डर
नहीं दिखती हुई भी
हर जगह हैं हम
हमारे बिना
तुम्हारा कोई वजूद नहीं
अक्कड़ बक्कड़
धूम-धड़ाक का खेल छोड़ो
हम नहीं होंगे
तो ख़ुद को
किसी आईसीयू में
कब तक बचा पाओगे