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हाइकु-1 / रचना श्रीवास्तव

1
हाथ पे गिरी
प्रेम बूँद ,जीवन
महक गया
2
तुम सूरज
मै किरण तुम्हारी
साथ जलती
3
संध्या को भूल
ऊषा से प्यार करो
कैसे सहूँ मै
4
मैं नर्म लता
तुम तरु विशाल
लिपटी फिरूँ
5
तुम प्रभात
मै रजनी, मिलन
अब हो कैसे ?
6
तुम जो आये
उगा हथेली चाँद
नैन शर्माए
7
माँग भरें ,ये
कोमल भावनाएँ
छुओं जो तुम
8
चाँदनी ओढे
बादल का घूँघट
चन्दा जो आए
9
रचा के बैठी
सितारों की मेहँदी
तुम न आये
10
चंचल हुए
ये गुलाबी नयन
तेरे आने से
11
तुम हो वैसे
दिल मे धड़कन
होती है जैसे
12
कोई नजारा
या देखूं आईना मै
तुम ही दिखो
13
प्रेम की बाती
बिना तेल के जले
अजब बात
-0-