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हाइकु / अमिता कौण्डल / कविता भट्ट

1
भीगी कलियाँ
दुबकी हैं चिड़ियाँ
वर्षा का जादू

भिजीं छं कली
दुबकिन प्वथली
बर्खा कु जादु
2
काशी पे छोड़ा
तीर्थयात्रा कराने
लाया था बेटा

कासी मूँ छोड़ि
तीर्थजात्रा करौणों
ल्हाई छौ नौनु
3
मन पंछी -सा
उड़ना चाहे , पर
पग- बंधन

मन पग्छि सि
उड़ण चाँणु, पर
खुट्यूँ - बन्धन
4
बसे हो तुम
हर साँस में पिया
तुम न जानो ।

बस्याँ छाँ तुम
हर साँस माँ गैल्या
तुम नि जाणा

5
पिता का प्यार
सुबह और साँझ
आता है याद ।

बुबा कु प्यार
सुबेर- र- ब्याखुन
औन्दु च याद
6
उलझी साँसें
बस इक प्रतीक्षा–
तुम आओगे ।

अल्झिन साँस
बस एक जग्वाळ
तुमुन औंण
7
घन -मृदंग
बनी विद्युत वीणा
बरखा -राग ।

बादळ-ढोल
बौणि बिजळि बीना
बरखा-राग
8
दूषित नभ
धरती की दूषित
गंगा भी रोए ।

गंदु आगास
पिर्थी कि य कौज्याळ
गंगा बि रूणि
9
बातूनी बाला
अब छाई है चुप्पी
टूटा विश्वास ।

चबरा छोरी
अब बौग च मारीं
टुटि बिस्वास
10
कंटक- वन
ढूँढता रहा मन
चम्पा सुगंध ।

काँडौं कु बौण
खोजणु राई मन
चंपै खुसबो
11
झुलसी धरा,
माँगती जल धार,
सूखे हैं कूप।

ल्हबसै पिर्थी
माँगणि पाणी धार
सुखिन कुआँ
12
दुखी धरती
पुकारती गोबिंद
अब आ जाओ ।

दुख्यारि पिर्थी
भट्यौणी च गोबिंद
अब ऐ जावा
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