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हाइकु 119 / लक्ष्मीनारायण रंगा

माटी थनैं तो
पड़सी रूंदीजणो
ले‘ण नैं रूप


नीं बंध सकै
पूछ पंछी बादळ
सरहदां में


मिनख नईं
आज पूजीज रैयी
बस पोसाकां