पंतग चावै
पंछी दाई उडणो,
डोर ई रोकै
मिनख मन
हंसै सगळा सांमै
रोवै अेकलो
हर मन है
कविता‘र कहाणी
छू अर देख
पंतग चावै
पंछी दाई उडणो,
डोर ई रोकै
मिनख मन
हंसै सगळा सांमै
रोवै अेकलो
हर मन है
कविता‘र कहाणी
छू अर देख