सुख तो तोड़ै
दुख जोड़ै मन नैं
आखै जग सूं
चावां बेचणा
आंधां री बस्ती काच
आंधां हां खुद
थारी सुरता
पाळै मोतीड़ा म्हारै
मन री सीप
सुख तो तोड़ै
दुख जोड़ै मन नैं
आखै जग सूं
चावां बेचणा
आंधां री बस्ती काच
आंधां हां खुद
थारी सुरता
पाळै मोतीड़ा म्हारै
मन री सीप