पराये खांधै चढ
चावै बणनो आभो
रै‘सी बावनो
जे निरपेक्ष
क्यूं जपावै जग सूं
सहस्त्र नाम
धरा भेजे है
बादळी-परवाणां
आभै प्रेम नैं
पराये खांधै चढ
चावै बणनो आभो
रै‘सी बावनो
जे निरपेक्ष
क्यूं जपावै जग सूं
सहस्त्र नाम
धरा भेजे है
बादळी-परवाणां
आभै प्रेम नैं