Last modified on 27 जुलाई 2018, at 14:01

हाइकु 154 / लक्ष्मीनारायण रंगा

अरे कणै तो
चै‘रे परला चै‘रा
उतार मन!


शकुंतलावां
भूलती जा रैयी है
दुष्यतां नैं ई


चैफेर बधै
तक्षक नाग आज
जन्मेजै जाग