ओ दरपण
देखावै सै नैं चै‘रा
समभावी है
मरता जावै
मीठा मधरा गीत
डी.जे. धुनां
पीवै बिरखा
अे ऊंचा-लूंठा वट
तिरसी घास ?
ओ दरपण
देखावै सै नैं चै‘रा
समभावी है
मरता जावै
मीठा मधरा गीत
डी.जे. धुनां
पीवै बिरखा
अे ऊंचा-लूंठा वट
तिरसी घास ?