नान्हीं कांकरी
उठा देवै तूफाण
पाणी रै मन
बंदूकां झालै
बै हाथ जिका कनैं
रोटी ना काम
सारो विकास
सभ्यता‘र संस्कृति
पेट रै पाण
नान्हीं कांकरी
उठा देवै तूफाण
पाणी रै मन
बंदूकां झालै
बै हाथ जिका कनैं
रोटी ना काम
सारो विकास
सभ्यता‘र संस्कृति
पेट रै पाण