मिनख देही
माटी सूं है उपजी
राख समासी
आखरी सांस
निकळै थारै नाम
अमर हुयो
नदी री धार
सागै-सागै बै, नीं तो
डूब जावै ला
मिनख देही
माटी सूं है उपजी
राख समासी
आखरी सांस
निकळै थारै नाम
अमर हुयो
नदी री धार
सागै-सागै बै, नीं तो
डूब जावै ला