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हाइकु 87 / लक्ष्मीनारायण रंगा

काळै बादळां
बीज करै रोसणी
थूं मन चेता


नारी मा हुवै
पण अबै जणै है
मानव बम


सै कीं बिकै है
ई अंधेर नगरी
चैपट राज