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हाइकू - 2 / शोभना 'श्याम'

11.
फिर से खिली
मन की बगिया में
याद की कली

मिली न कभी
नयन के राही को
नेह की गली

12
बारहा बढ़ी
नप गयी सड़कें
मैं वहीँ खड़ी

टूटी जो कड़ी
जीवन और सुख की
जोड़े न जुडी

13
चाहा था जीना
बदले में लुटाया
ख्वाब नगीना

तुम्हारे बिना
जिंदगी हो गयी ज्यों
टूटा सफीना

14
लिखा न पता
बेरंग पत्र मन
हुआ लापता

है सुलगता
सपना पल पल
है झुलसता

15.
उमंगें सारी
रस्सी पर भाग की
टंगी बेचारी

आस हमारी
कागज़ की नाव में
करे सवारी

16.
हम यूं जिए
सजाये मौत पाके
ज्यों कैदी जिए

जीते ही गए
खून के घूँट आंसू
पीते ही गए

17.
देर सवेर
सूरज चमकेगा
आँगन तेरे

पी के अँधेरे
समय उगलेगा
शुभ्र सवेरे

18.
नए वर्ष में
नवेच्छाओं की रोटी
मन रे बेल

बीते ग़मों की
यादें करकट सी
बाहर ठेल

19
घर ही नहीं
गली मोहल्ला सूना
बेटी बिना

बेटी है माना
लहू तो तुम्हारा है
मत बहाना

20
आधुनिकता
यंत्रों से भरा घर
मन है रीता

जागरूकता
जागृत अधिकार
दायित्व सोता