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हात रे भाई रे! / निमाड़ी

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हात रे भाई रे!
नाना की मांय पाणी खऽ गई, घर मऽ कुतरा कोंडी गई।
कुतरा भूकसे होलई पर, नानों म्हारो सोवसे झोलई पर।
आवों चिड़ीबाई दौड़ करी, नानो म्हारो सोवसे सौड़ करी।
आवो चिड़ीबाई परात मऽ, नानो म्हारेा जासे बरात मंऽ।
आवो चिड़ीबाई करूँ थारो याव,
कथील को मूंदड़ो नऽ जुरूंग को हार
बाजरा को खीचड़ो नऽ मसूर की दाल,
आवों चिड़ीबाई करूँ थारों याव।
हात रे भाई रे!