छींक आई हाथी भाई को,
उडी गिलहरी दीदी।
रहती थी कलकत्ते में पर,
पहुँची दिल्ली सीधी।
बोली अगर छींकते जमकर,
मजे बहुत आ जाते।
छोड़ प्रदूषित दिल्ली को हम,
पेरिस में बस जाते।
छींक आई हाथी भाई को,
उडी गिलहरी दीदी।
रहती थी कलकत्ते में पर,
पहुँची दिल्ली सीधी।
बोली अगर छींकते जमकर,
मजे बहुत आ जाते।
छोड़ प्रदूषित दिल्ली को हम,
पेरिस में बस जाते।