जंगल में भी मस्ती लाया
होली का त्योहार,
हाथी दादा लेकर आए
थोड़ा रंग उधार।
रंग घोल पानी में बोले
वाह, हुई यह बात,
पिचकारी की जगह सूँड़ तो
अपनी है सौगात!
भरी बालटी लिए झूमते
जंगल आए घूम,
जिस-जिस पर बौछार पड़ी
वह उठा खुशी में झूम!
झूम-झूमकर सबने ऐसे
प्यारे गाने गाए,
दादा बोले ऐसी होली
तो हर दिन ही आए!