यह सुख भी असह्य हो जाएगा
यह पूरे संसार का
जैसे एक फूल में सिमटकर
हाथ में आ जाना
यह एक तिनके का उड़ना
घोंसले का सपना बनकर
आकाश में
यह अंधेरे में
हाथ का हाथ में आकर
बरजना, झिझकना और
छूट जाना
यह एक रोशन-सी जगह का कौंधना
और खो जाना
एक दिन
यह सुख भी असह्य हो जाएगा।
रचनाकाल :1990