म्हूँ चावूं
कीं नै कीं बोलूं
वैवसथा रो भेद खोलूं
उणी’ज बगत
चाल पड़ै
म्हारै दिल अर दिमाग मांय
एक अण चिन्त्यौ जुद्ध
दिल सजोरौ डरै कोनी
पण दिमाग निजोरौ हामळ भरै कोनी
कुण जीनै, कुण हारै
स्यात ओ ठाह पडै
जे सबद नीसरे बारै।
म्हूँ चावूं
कीं नै कीं बोलूं
वैवसथा रो भेद खोलूं
उणी’ज बगत
चाल पड़ै
म्हारै दिल अर दिमाग मांय
एक अण चिन्त्यौ जुद्ध
दिल सजोरौ डरै कोनी
पण दिमाग निजोरौ हामळ भरै कोनी
कुण जीनै, कुण हारै
स्यात ओ ठाह पडै
जे सबद नीसरे बारै।