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हालात समझ लें / कमलेश द्विवेदी

दुश्मन की हर घात समझ लें.
अपनी भी औकात समझ लें.

आखिर तक जाना ही तो फिर,
कैसी है शुरुआत समझ लें.

अपनी ही बातों जी ज़िद क्यों,
उसकी भी तो बात समझ लें.

दिन को चाहें रात कहें पर,
क्या होते दिन-रात्त समझ लें.

खेल शुरू होने से पहले,
क्या शह है क्या मात समझ लें.

सच कहना अच्छा है लेकिन,
कैसे हैं हालात समझ लें.