हिंद के बहादुरो, शूरवीर बालको
थाम लो सँभालकर देश की मशाल को!
अंधकार का गरूर आन-बान तोड़ दो
बालको, भविष्य के लिए मिसाल छोड़ दो,
दो नई-नई दिशा वर्तमान काल को!
देश माँगता कि खून से रँगा गुलाब दो
तुम उठो सिपाहियो शत्रु को जवाब दो,
झूम-झूमकर मलो युद्ध के गुलाल को!
दूर तक जमीन पर शानदार जय लिखो
तुम विशाल सिंधु पर जय लिखो, विजय लिखो,
तोड़ दो पिशाच के तुम हरेक जाल को!