Last modified on 6 जुलाई 2010, at 02:50

हिनहिनाता घोड़ा / सांवर दइया

यह एकांत
यह कमरा
रेशमी अंधेरा ओढ़े
सुगंध बिखेरती संदली देह
छूते ही देह
नस-नस में
तनतनाता है
पानी
लगता है
मैं
मैं नहीं
हिनहिनाता घोड़ा हूं !