Last modified on 24 अप्रैल 2018, at 14:11

हिन्दुस्तान हमर / मथुरा प्रसाद 'नवीन'

बबुआ ‘सीताराम’, सीताराम!
नै कहीं अँटक मारो
नै कहीं झटक मारो,
मारो तब
कुरसी से
कुरसी से पटक मारो
तों किसान हा
कुस्ती खेल सकऽ हा,
मजदूर किसान मिलके
दुश्मन के धकेल सकऽ हा
लेकिन तों हा कि बल नै करऽ हा
तोहरे समस्या हो हल नै करऽ हा
देखो तो तनी बगले बिदेस में
भगवान हुआं घूमऽ हइ
किसान के भेस में
मजदूर हुआं के
राज भी चलाबऽ हइ,
खेती करऽ हइ ऊ
साज भी बजाबऽ हइ
कलाकार
साहित-कार
कदर से जीआऽ हइ
हुआं के किसान
कोय गुदरी नै सीअऽ हइ
कपड़ा में कपार केकरे जनानै हइ
कोय बड़ी हीन
कोय हनहना नै जा हइ
तों भी तो
मजदूर किसान हा भाय
जात-पाँत कुछ नै
हिन्दुस्तान हा भाय