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हिसाब / अनीता कपूर

बादलों के
पानी का हिसाब
समुन्द्र से कौन पूछेगा?
जिंदगी एक किताब
रोज़ खुलता है एक पन्ना
पन्नों का हिसाब
किस्मत से कौन पूछेगा?
जो लम्हे रह गए पन्नों से चिपके ही
उन्हे न जी पाने का हिसाब
ज़िंदगी से कौन पूछेगा?