तूने
अपनी इच्छानुसार
सब पाया
क्योंकि तू शातिर था
जानता था छल विद्या
और हमें छलता रहा
करता रहा हमारा शोषण।
तुम्हारी कुटिलता
और छल के आगे
मेरी इच्छाएँ ही
पत्थर हो गईं
लेकिन मेरी संघर्ष यात्रा
अब भी जारी है
एक दिन
देना ही होगा
तुम्हें!
मेरे शोषण का हिसाब।