हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
हुआ नगर सब सूना, बनो मेरी पाहुनिया रे
दादी रानी ने ऐसे पाला, जैसे घी की गागरिया रे
ताई रानी ने ऐसे पाला, जैसे घी की गागरिया रे
बाबा राजा ने ऐसे निकाला, जैसे जल की माछुलिया रे
ताऊ राजा ने ऐसे निकाला, जेसे जल की माछुलिया रे