प्राय: हर दिन अहले सुबह
निर्भीक निद्वंद्व मैंनाओं का एक झुंड
हमारे घर-आंगन में
उतर आता है कोलाहल करता हुआ
घाघ अफसर की तरह
मुआयना करता है चारोओर
चक्कर पर चक्कर काटता है
और अंत में ढूंढ निकालता है
अन्न का कोई टुकडा
आंगन में दुबका कोई कीडा
फिर उसे देर तक खाता है
और बेधडक उड जाता है
वे सब फिर आएंगे
फिर करेंगे पूरा कर्मकांड
हमारे सामने ही
अकड कर चलेंगे
और विवश हम
हुलस कर उनका स्वागत करेंगे।