हु-हु पछिया बयार शोभै खेत खरिहान!
झूमी-झूमी सूप ढारै गाँव के किसान!!
छिटकथैं इंजोरिया भरलऽ डगरिया,
कंगना खनेॅकी रहै गलियार! हु-हु पछिया...
तमकी-झमकी चैता काटै छै गोरिया,
बोझबा सें साजै आपनऽ खरिहान! हु-हु पछिया...
दौरी लागलऽ घूमै बैलबा के पाछू-पाछू,
देॅकेॅ टिटकारी गजबेॅ छोड़ै तान! हु-हु पछिया...
रौदऽ नै मानै पोछै आपनऽ पसिनमा,
ओसाबै अनाज रात-बिहानें-बिहान! हु-हु पछिया...