हृदय
कैसा बावला बालक है रे!
न झुनझुने की झनझनाहट से बहलता है
न घंटियों से
न खिलौनों से,
न खेल से--।
नेह की ऊष्मा का
माध्यम
क्या तो हो भला?
हृदय
कैसा बावला बालक है रे!
न झुनझुने की झनझनाहट से बहलता है
न घंटियों से
न खिलौनों से,
न खेल से--।
नेह की ऊष्मा का
माध्यम
क्या तो हो भला?