Last modified on 12 अप्रैल 2018, at 17:59

हृदय का मूल्य / रामेश्वरलाल खंडेलवाल 'तरुण'

एक चूड़ी टूटती-तो हाय, हो जाता अमंगल!
मेघ में बिजली कड़कती-काँपता सम्पूर्ण जंगल!
भाग्य के लेखे लगाते-एक तारा टूटता तो!
अपशकुन-शृंगारिणी के हाथ शीशा छूटता तो!
दीप की चिमनी चटकती-चट तिमिर का भय सताता!
कौन सुनता स्फोट? पर, कोई हृदय यदि टूट जाता!