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हॅलो-हॅलो / बालकृष्ण गर्ग

ट्रनट्रन...ट्रनट्रन... ट्रनट्रन...ट्रनट्रन
बोल उठा जब टेलीफोन,
उठा रिसीवर, झनकू जी ने
पूछा- ‘बोल रहे हैं कौन?’
किन्तु उधर से ‘हलो-हलो’ ही
सुन पाया बस, उनका कान,
झनकू हिलने लगे ज़ोर से,
कहा-‘हल रहा हूँ, श्रीमान!’
[नवभारत टाइम्स (मुंबई), 31 अगस्त 1975]