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हेमंत बयार लिखें / प्रेमलता त्रिपाठी

श्वेत शृंग से उतर रही है,ऋतु हेमंत बयार लिखें ।
अंग अंग में शीत समाये,सिहरन देती मार लिखें ।

ओढ़ दुशाला बर्फानी ये,संत शिखर पर्वत माला,
मौन हुए सब ताने बाने,उलझे जीवन तार लिखें।

मोहक लगते हिम नद सागर,इनमें अनुपम आकर्षण
मौज मनाते सैलानी जँह, जाते बारंबार लिखें ।

निपट गरीबी रही सताये,शीत युद्धरण भेरी सम,
ठहरी ठिठुरी उम्मीदों के,आँसू बहते धार लिखें ।

शीत द्वंद्व हो आग पेट की, मिटे वही सच्ची सेवा,
मानवता की धूप सुनहरी,सबके हृदय अपार लिखें ।

विवश प्रेम विश्वास आस में,जन्म मरण तक उलझे हम,
सँवर उठेगा मनु जीवन यदि,करुणा हृद उपकार लिखें ।